Saturday, May 1, 2010
धुप की मारामार
घर से निकलते ही ऐसा लगता है जैसे सूर्य के पास पहुच गए हो हर तरफ भयंकर गर्मी है जिसकी तड़प इतनी है की कही बहार निकलने का मन नहीं करता खेर हम तोह बच्चे यह बात कह रहे है जो घर से स्कूल और स्कूल से घर जाते है लेकिन उनका क्या जो बिचारे सुबह सुबह ऑफिस के लिए निकलते है और जो भरी धुप में इधर उधर घुमते रहते है वैसे क्या कम टेंशन है जो धुप भी लोगो के लिए इतनी बड़ी टेंशन बन गयी आमिर लोगो को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्युकी वो तो एसी कारोमें घुमते है उन्हें धुप से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन बेचारे गरीबो से यह गर्मी सहन नहीं होती भगवन हम गरीबो पर रहम कर गर्मी कम कर बारिश ज्यादा कर तभी हम जी पाएंगे
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ये ग्लोबल वार्मिंग है या कुछ और...पर गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है!यहाँ राजस्थान में तो और भी ज्यादा है...
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