Sunday, March 14, 2010

पार्टी के रंग पड़ा फीका

महंगाई की मार का असर हर तरफ बढ़ता ही जा रहा है युवा वर्ग का देखकर तो ऐसा लगता है जैसे जिंदगी के रंग ही फीके पड़ गए है खाने पीने की चीजों के दाम ऊचाई के शिखर पर पहुच गए है कुछ खरीदना भी मुश्किल हो गया है
खरीदने से पहले सोचना पढता है क्या ख़रीदे पहले पेप्सी की बोतल दस रुपये में आ जाती थी आज पेप्सी की बोतल बारह रुपये में आती है बस का किराया हर साल बढ़ा दिया जाता है विधार्थियों ने कॉलेज व् स्कूल जाना भी बंद कर दिया है बस व् ऑटो के दाम स्टुडेंट की शिक्षा के आड़े आ रहे है डीजल व् तेल की कीमते भी ऊचाई के शिखर को छू रही है जो स्टुडेंट मोटरसाईकिल से कॉलेज या स्कूल आते थे आज वो स्टुडेंट सिर्फ घर में बैठे है युवा वर्ग के लिए पार्टी तो सिर्फ सपना बन कर रह गया है जो पार्टी पहले १००-२०० रुपये में हो जाती थी आज वही पार्टी ५०० रुपये में होती है पार्टी का रंग फीका पड़ गया है सिनेमा में जाना भी अब सिर्फ सपना ही बना रहेगा